एक सामाजिक अभियान की तरफ प्रेरित हर पहल को सफल बनाने के लिए, सही दिशा में केवल एक कदम बढ़ाने की ज़रूरत होती है, और हमारे इस कदम की शुरुआत १९६६ में कीर्तिलाल मणिलाल मेहता चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना के साथ हुई।
इसकी अवधारणा के बाद से ही, हमने खुद को पिछड़े सामाजिक-आर्थिक समुदाय की सहायता करने में झोंक दिया है। समाज के उत्थान की इस भावना ने ट्रस्ट को १०८ गांवों को गोद लेने के लिए प्रेरित किया, जहां हमने 'फूड फॉर वर्क' कार्यक्रम के तहत उन सभी लोगों तक आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया, जितने लोगों तक हम पहुंच सकते थे।
विकास के प्रमुख क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए, हमने युवाओं के लिए शिक्षा सुनिश्चित की, आसपास के १,५०० गांवों के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाए, बच्चों ले लिए टीकाकरण की व्यवस्था की, और जिन्हें इसकी आवश्यकता थी, उन्हें तत्काल सहायता प्रदान की। स्थानीय लोगों के लिए कृषि, पशुपालन, रोजगार, स्वरोजगार, सामाजिक वन-निर्माण, शिल्प विकास जैसे कामों के ज्ञान के आधार पर काम के बदले खाद्य प्रोत्साहन जैसी योजना का निर्माण और विस्तार किया। हमने इन गांवों को सशक्त बनाया और ५ साल तक उनके साथ खड़े रहे, जब तक कि वे अपने दम पर उन्नति करने में सक्षम नहीं हो गए।
हमारा दूसरा क़दम १९७८ में लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट का निर्माण था। चिकित्सा में आगे बढ़ने, और जरूरतमंदों की मदद करने के उद्देश्य से, हमारा अस्पताल जल्द ही विशेषाधिकार प्राप्त और वंचितों के लिए एक सुरक्षित स्थान बन गया।
दान का कार्य लीलावती अस्पताल के साथ वर्ष १९९७ में अपना संचालन शुरू करने के साथ आगे बढ़ा। वर्षों से, लीलावती अस्पताल और अनुसंधान केंद्र ने सभी समुदायों के अपने रोगियों के साथ बेजोड़ विश्वास विकसित किया है। इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं, सर्वोत्तम चिकित्सा विशेषज्ञता, अनुसंधान, शिक्षा और धर्मार्थ प्रयास शामिल हैं।
हमारी 'सेवा' पहल, महाराष्ट्र और गुजरात में पुलिस शिविर, कैंसर जागरूकता और उपचार शिविर, और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य शिविर स्थापित करने के लिए शुरू की गई थी।
जब विनाशकारी भूकंप आया, हम तुरंत मदद के लिए आगे आए। भुज रिलीफ़, हमारे द्वारा किए गए सबसे बड़े ऑपरेशनों में से एक था। ७.६M के भूकंप की वजह से भुज में हुई तबाही के लिए चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी। बिना समय बर्बाद किए हमने अपने बेहतरीन मेडिकल स्टाफ़़ को भुज पहुंचाया। भूकंप स्थल के पास स्वास्थ्य शिविर लगाया, और उन महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की, जिन्हें मलबे और मिट्टी के नीचे से निकाला गया था।
मुफ़्त्त भोजन प्रदान किया गया। प्रत्येक कर्मचारी के पास अनाज के दो बोरे थे, और साथ ही बर्नर स्थापित किए गए थे ताकि लोग खाना बना सकें, जिससे उन्हें आशा हो कि वे अपना जीवन नए सिरे से शुरू कर सकते हैं। पूरा स्टाफ़ भुज में तब तक रहा जब तक कि लोग अपने पैरों पर खड़े नहीं हो गए।
अथक योगदान देने वाले स्टाफ़ और मेडिकल टीम को चांदी का सिक्का देकर सम्मानित किया गया। हमारा मानना है कि हर कार्य से एक बड़ा बदलाव हुआ है और इसे उचित पहचान मिलनी ही चाहिए।